वित्तीय प्रबंधन की चुनौती है प्रवासियों की सबसे बड़ी चिंता

टेक्नोलॉजी ने कई लोगों के समक्ष डिजिटल खानाबदोश बनने के रास्ते खोले हैं और लोगों ने फिर दुनियाभर में घूमना शुरू कर दिया है लेकिन विदेश से आने वालों यानी इंटरनेशनल सिटिजंस का वित्तीय प्रबंधन को लेकर अनुभव बहुत सुगम नहीं रहता है।


एचएसबीसी के एक अध्ययन के अनुसार इसके 10 अहम मार्केट में 9 करोड़ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता हैं, जो रहने, काम करने या पढ़ाई करने के लिए विदेश में रह रहे हैं। बैंक ने ऐसे इंटरनेशनल सिटिजंस की वित्तीय व्यवस्था को समझने, नए देश में बसने की उनकी प्रेरणा को जानने और दूसरे देश में बसने पर आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए अपने विभिन्न मार्केट में अध्ययन किया है। अध्ययन से उनके समक्ष आने वाली वित्तीय चुनौतियों, जगह बदलने के दबाव और इससे उनके जीवन पर संभावित असर के बारे में निष्कर्ष मिले हैं।


भारत में रह रहे इंटरनेशनल सिटिजंस के सर्वेक्षण से कुछ बातें सामने आई हैं। इस सर्वेक्षण में ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो भारत में आकर बस चुके हैं या ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। आवश्यक सेवाओं को पाने में आने वाली परेशानी से अव्यवस्थित अनुभव हो सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में बस चुके तीन चौथाई (75 प्रतिशत) प्रतिभागियों ने माना कि यहां आने पर शुरुआत में उन्हें अव्यवस्थित अनुभव हुआ था, क्योंकि बैंक अकाउंट, यूटिलिटीज और इंटरनेट जैसी जरूरी व्यवस्थाओं के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा था। इससे सामने आता है कि कैसे जटिल वित्तीय प्रबंधन के कारण उनके शुरुआती अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बिना बैंक अकाउंट के उन्हें घर पाने में संघर्ष करना पड़ता है और बिना निश्चित घर मिले उन्हें बच्चों के लिए स्कूल खोजने में संघर्ष करना पड़ता है।


विदेश जाने वालों के लिए क्रेडिट हिस्ट्री को ट्रांसफर न कर पाना एक बड़ी बाधा है। भारत में प्रत्येक पांच में से लगभग चार (78 प्रतिशत) इंटरनेशनल सिटिजंस को इस कारण से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल फोन और अन्य आवश्यक यूटिलिटीज के लिए संघर्ष करना पड़ा है। इसके अलावा, भारत आने की योजना बना रहे लगभग 61 प्रतिशत प्रतिभागी इस बात से चिंतित हैं कि वे अपनी क्रेडिट हिस्ट्री को ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं।


जो लोग भारत आने की योजना बना रहे हैं, उन सभी के लिए उपयुक्त फाइनेंशियल सर्विसेज की खोज एक आम चिंता है। देश में आने की तैयारी कर रहे लगभग 62 प्रतिशत प्रतिभागी इस बात से सहमत हैं कि अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप सही फाइनेंशियल सर्विसेज खोजना उनके लिए चिंता का विषय है। विदेश जाते समय कैश फ्लो प्लानिंग सबसे जरूरी है। सर्वेक्षण से सामने आया है कि आधे से अधिक (53 प्रतिशत) प्रतिभागी जो भारत आने (रहने, काम करने या अध्ययन करने के लिए) की योजना बना रहे हैं, उन्हें यहां आने पर कैश फ्लो को लेकर परेशानी की आशंका है। इसके अलावा, आधे (50 प्रतिशत) प्रतिभागी जो भारत में स्थानांतरित होने की योजना बना रहे हैं, उन्हें पता नहीं है कि जब वे स्थानांतरित होंगे तो वित्तीय प्रबंधन कैसे करेंगे। जो लोग पहले ही स्थानांतरित हो चुके हैं, उनमें से 67 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें वित्तीय प्रबंधन के लिए किसी तरह की मदद नहीं मिली जबकि, जो लोग अभी भी भारत में रहने, काम करने या अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं, उनमें से हर दूसरे (50 प्रतिशत) इंटरनेशनल सिटिजन ने कहा है कि किसी ने भी उन्हें नई जगह बसने को लेकर वित्तीय रूप से सक्षम अनुभव करने में कोई मदद नहीं की।


महंगाई के बढ़ते दबाव और जीवन यापन की बढ़ती लागत के बीच, अध्ययन में पाया गया कि 26 प्रतिशत इंटरनेशनल सिटिजंस अपने परिवार की स्थिरता के लिए भारत में बसने के लिए प्रेरित होते हैं, 23 प्रतिशत बेहतर तकनीक के कारण स्थानांतरित होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे कहीं से भी काम कर सकते हैं, और 20 प्रतिशत लोग बेहतर जीवनशैली के लिए यहां बसे हैं या बसने की योजना बना रहे हैं।

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